कामाख्या देवी मंदिर की 20 सबसे हैरान कर देने वाली सच, जानकर दिमाग घूम जाएगा, Kamakhya Temple Secrets

Kamakhya Temple Secrets

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप आशा करते हैं कि आप अच्छे से होंगे। और मां की कृपा से आपका हर दिन अच्छा जा रहा होगा। दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं। माता कामाख्या देवी के 20 सबसे हैरान कर देने वाले सच (Maa Kamakhya Temple Secrets) , जिसे जानकर लोग हैरान हो जाते हैं। माता कामाख्या देवी का ऐसा क्या है सच, (Kamakhya Devi Temple Secrets)  जिसके बारे में जानकर लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। आज के इस आर्टिकल में पूरी जानकारी देने वाले हैं। जानने के लिए ध्यान पूर्वक पढ़ते रहे।

Kamakhya Temple Secrets

दोस्तों आई दिन इंटरनेट पर काफी ज्यादा सर्च होने वाली एक ही मंदिर का नाम होता है और वह है कामाख्या देवी मंदिर, कामाख्या देवी मंदिर में ऐसा क्या खास है जो लोगों को हैरान कर देती है। इस मंदिर के अद्भुत दृश्य को देखकर लोग काफी हैरान हो जाते है।

माता कामाख्या देवी की इस मंदिर में मां की योनि की पूजा की जाती है। साथ ही यह मंदिर जितना रहस्यमई है उतना ही यह खूबसूरत भी है। इसके साथ ही यह मंदिर वर्षों पुराना है।

शक्ति साधना का सबसे बड़ा केंद्र है कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple Secrets) 

कामाख्या देवी मंदिर (Kamakya Devi Mandir Secrets) जहां पर श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है। इस मंदिर के बारे में एक से बढ़कर एक फैक्ट्स (Kamakhya Devi Temple Facts) मौजूद है। इस मंदिर का सबसे खास बात यह है कि यहां पर जो भी व्यक्ति आता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं। यह एक ऐसा मंदिर है जहां पर गरीब अमीर से लेकर काफी बड़े-बड़े लोग आते हैं और सिर्फ यहां पर मां का ही चलती है। यहां पर कोई भी वीआईपी लोगों के लिए सुविधा नहीं है। दोस्तों आज किस आर्टिकल में हम आपको मां कामाख्या देवी मंदिर (Kamakhya Devi Temple)  के बारे में संपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल के जरिए देने वाले हैं। जाने से पहले आप कमेंट में मां कामाख्या देवी की जय कारा लगाना ना भूले।

कामाख्या देवी मंदिर कहां स्थित है? (Where is Kamakhya Devi Temple situated?) 

शक्तिपीठ कामाख्या देवी मंदिर भारत देश में असम की राजधानी गुवाहाटी के पश्चिम में 8 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। माता के सभी शक्तिपीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ का सबसे सर्वोत्तम पीठ माना जाता है। यह मंदिर के बनावट बहुत ही अजीब है जो एक पहाड़ी पर बना हुआ है। यदि आप भारत के नॉर्थ ईस्ट के टूर पर हैं तो प्रसिद्ध कामाख्या शक्तिपीठ को घूमे बिना पूर्वोत्तर भारत की यात्रा अधूरी मानी जाएगी। यह मंदिर रोचक तथ्य और चमत्कारों से भरा पड़ा हुआ है। इसके साथ ही आपको इस मंदिर की बनावट के बारे में आगे विस्तार पूर्वक जानेंगे।

कामाख्या देवी का रहस्य क्या है ? (What is the secret of Kamakhya Devi?) 

वैसे तो मंदिर के बहुत सारे रहस्य हैं। जो लोगों को हैरान करते हैं। इस मंदिर के बारे में बहुत सारे पौराणिक कथाएं मौजूद है। चमत्कारों से भरे इस मंदिर में माता की योनि की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि माता सती के प्रति मोह भंग करने के लिए भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 51 भाग किए थे। जिस जिस जगह पर माता सती के अंग गिरा वह शक्ति पीठ कहां लाया। और ऐसा माना जाता है कि कामाख्यामाता सती का योनि का भाग गिरा था। और इसी से माता कामाख्या देवी की उत्पत्ति हुई। ऐसा कहा जाता है कि यहां देवी का योनि भाग होने की वजह से यहां माता रजस्वला होती है। कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य आप bsebhelp.com पर पढ़ रहे है। 

इस मंदिर में नहीं है देवी की मूर्ति (There is no idol of Goddess in this temple) 

कामाख्या शक्तिपीठ मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है। यहां पर देवी की योनि की ही पूजा की जाती है। मंदिर में कुंड से बना हुआ है। और वह हमेशा फूलों से ढका हुआ रहता है। इस जगह के पास में ही एक मंदिर बना हुआ है जहां पर देवी की मूर्ति स्थापित है। यह पीठ माता के सभी शक्तिपीठों में से महापीठ माना जाता है।

यहां हर साल माता होती है रजस्वला (Kamkhya Devi Temple Secrets) 

इस पीठ के बारे में बहुत ही एक रोचक कथा सुनी जाती है। और यह कथा बहुत ही प्रसिद्ध भी है। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर मां की योनि का भाग गिरा था। जिस वजह से माता यहां पर हर साल 3 दिनों के लिए रजस्वला होती है। और इसी दौरान मंदिर को बंद कर दिया जाता है। 3 दिनों के बाद मंदिर के बहुत ही हर्षोल्लास के साथ खोला जाता है।

प्रसाद के रूप में दिया जाता है गिला वस्त्र

दोस्तों आपने कई मंदिर देखे होंगे जहां पर भक्तों को प्रसाद के रूप में फल यह सब दिया जाता है। लेकिन इस मंदिर का अलग ही प्रसाद है। इस मंदिर में देवी का प्रसाद के रूप में भक्तों को गिला वस्त्र दिया जाता है जिसे अंबुबाची वस्त्र कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवि का रजस्वला होने के दौरान प्रतिमा के आसपास सफेद कपड़ा बिछा दिया जाता है। 3 दिन के बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं। तब वह वस्त्र मां के रक्त से लाल रंग से भीगा हुआ होता है। और बाद में यही वस्तुओं को भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

लुप्त हो चुका है मूल मंदिर

कथा के अनुसार एक समय नरक नाम का एक असुर था। नरक ने कामाख्या देवी के सामने विवाह करने का प्रस्तुत रखा। देवी उससे विवाह नहीं करना चाहती थी इसीलिए उन्होंने नरक असुर के सामने एक शर्त रखी। और शर्त यही था कि अगर नरकासुर अगर एक रात में मंदिर, मार्ग, घाट और पूजा में आने वाले जितने भी समान होते हैं अगर वह सब बनवा दे तुम्हें नरकासुर से शादी कर लूंगी। नरक में शर्त पूरी करने के लिए भगवान विश्वकर्मा को बुलाया और काम शुरू कर दिया। काम पूरा होते देख रात खत्म होने से पहले ही मुर्गा के द्वारा सुबह होने की सूचना दिलवा दी। और इसी कारण विवाह नहीं हो पाया।

ऐसा माना जाता है कि आज भी नीचे से ऊपर जाने वाले मार्ग को नरकासुर मार्ग के नाम से जाना जाता है। और इस मंदिर में माता का मूर्ति स्थापित है। उसे कामा देव मंदिर मंदिर कहा जाता है। मंदिर के संबंध में यह भी कहा जाता है कि कि नरकासुर अत्याचारों से कामाख्या के दर्शन में कई परेशानियां उत्पन्न होने लगी। जिस बात से क्रोधित होकर महर्षि वशिष्ठ इस जगह को श्राप दे दिया। और यह कहा जाता है कि श्राप के कारण माता कामाख्या पीठ लुप्त हो गया। कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य आप bsebhelp.com पर पढ़ रहे है। 

सोलहवीं शताब्दी से जुड़ा है मंदिर का एक रहस्य

मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि कामरूप प्रदेश के राज्यों में युद्ध होने लगा। जिसमें कूच बिहार विरासत के राजा विश्व सिंह जीत गए। युद्ध में विश्व सिंह के भाई खो गए थे । और भाई को ढूंढने के लिए राजा घूमते घूमते नीलांचल पर्वत पर पहुंच गए हैं। वहां एक वृद्ध महिला दिखाई दी, वह महिला ने राजा के इस जगह के महत्व और यहां कामाख्या पीठ होने के बारे में बताया। यह बात जानकर राजा ने इस जगह की खुदाई शुरू करवाई। खुदाई करने पर कामदेव का बनवाया हुआ मूल मंदिर का निचला हिस्सा बाहर निकला। और राजा ने उसी मंदिर के ऊपर एक नया मंदिर बनवाया।

ऐसा कहा जाता है कि 1864 ईसवी में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिर में तोड़फोड़ किया। जिसे अगले साल राजा विश्व सिंह के पुत्र नरनारायण में फिर से बनवाया।

भैरव के दर्शन के बिना अधूरी है कामाख्या यात्रा

कामाख्या मंदिर का कुछ दूरी पर स्थित उमानंद भैरव का मंदिर है। उमानंद ही इस शक्तिपीठ के भैरव है। ऐसा कहा जाता है कि इनके दर्शन के बिना कामाख्या देवी की यात्रा अधूरी है। कामाख्या मंदिर की यात्रा को पूरा करने के लिए और अपने सारी मनोकामना को पूरा करने के लिए कामाख्या देवी के बाद उमानंद भैरव के दर्शन करना अनिवार्य है। कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य आप bsebhelp.com पर पढ़ रहे है। 

तंत्र विद्या का सबसे बड़ा मंदिर है कामाख्या मंदिर

कामाख्या मंदिर तंत्र विद्या का सर्वश्रेष्ठ केंद्र माना जाता है। हर साल यहां जून महीने में अंबुबाची मेला लगता है। देश के हर कोने से यहां पर साधु संत तांत्रिक यहां पर इकट्ठे होते हैं। तंत्र साधना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान माता के राजस्वाला होने का पर्व मनाया जाता है। इस समय ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिनों तक लाल हो जाता है।

दोस्तों कामाख्या देवी के मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कामाख्या देवी की योनि के दर्शन करने से तमाम इच्छाएं पूरी होती है। माता मंदिर से कई रहस्य से जुड़े हुए हैं। जिसके बारे में जानकर लोग हैरान हो जाते हैं। यह जानते हैं कामाख्या देवी मंदिर से जुड़ी कहानी विस्तार से,

कामाख्या देवी करती है 3 दिन आराम

एक और जहां संसार की सभी महिलाएं मासिक धर्म के दौरान आराम नहीं कर पाती वही कामाख्या देवी मंदिर की परंपरा इसके विपरीत है। मासिक धर्म के दिनों में कामाख्या देवी को 3 दिन का आराम दिया जाता है। कामाख्या देवी को बहते रक्त की देवी भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है सिया देवी का मात्रक ऐसा स्वरूप है जो नियम अनुसार प्रतिवर्ष मासिक धर्म के चक्र में आता है। इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है। यहां हर साल जून के महीने में कामाख्या देवी मासिक चक्र में होती है। अरुण की योनि से रक्त निकलता रहता है। और साथ ही उनके बहते रक्त से ब्रह्मपुत्र की नदी लाल हो जाती है। कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य आप bsebhelp.com पर पढ़ रहे है। 

प्रसाद के रूप में दी जाती है खून की रूई

कामाख्या देवी मंदिर में जून के महीने में मासिक धर्म के समय 3 दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है। इस दौरान मंदिर के आसपास अंबुबाची मेला लगता है। जिसे लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। इस पर्व में सामान्य लोगों के साथ साथ तांत्रिक, साधु, ऋषि मुनि शामिल होते हैं। इस दौरान शक्ति प्राप्त करने के लिए तांत्रिक और साधु अलग-अलग गुफाओं में बैठ कर साधना करते हैं। इस मंदिर में मां के दर्शन करने आए लोगों को मां के मासिक धर्म से भीगे रुई को पाने के लिए लोग घंटों लाइनों में लगकर इस प्रसाद को लेते है। और

यह है कामाख्या देवी की कहानी।

धर्म पुराणों के अनुसार पिता द्वारा किए गए यज्ञ के अग्नि में कूदकर सती के आत्मदाह करने के बाद जब महादेव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। तब महासती के प्रति महा शंकर को मोह भंग करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे। जहां पर यहां भाग गिरा वहां पर माता के 1 शक्तिपीठ बन गया। यहां पर माता का योनि गिरा जिस कारण यहां जगह को कामाख्या नाम दिया गया।

कामाख्या मंदिर पूजा का उद्देश्य (Kamakhya Devi Temple Secrets) 

दोस्तों यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर मंदिर के गर्भ गृह में कोई भी प्रतिमा स्थापित नहीं है। इसकी जगह एक समतल चट्टान से बना एक विभाजन देवी की योनि को दर्शाता है। एक प्राकृतिक झरने के कारन यह जगह हमेशा गीला रहता है। और इस जल को अति प्रभावकारी और शक्तिशाली माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस जल के नियमित सेवन से बीमारियां दूर होती है।

Join Telegram  Click Here 

Leave a Comment